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Shankar Chaura Re Lyrics | Shahnaz Akhtar Bhajan Lyrics

Shankar Chaura Re Lyrics | Shahnaz Akhtar Bhajan Lyrics


शंकर चौरा रे
महामाई कर रही सोल्हा रे
श्रृंगार माई कर रही सोल्हा रे,

माथे उनके बिंदिया सोहे
टिलकी की बलिहारी राम,
सिंदूर लगा रही रे
मांग में सिंधुर लगा रही रे,
श्रृंगार माई कर रही सोल्हा रे

कान में उनके कुण्डल सोहे
नथुनी की बलिहारी राम,
हरवा पहन रही रे
गले में हरवा पहन रही रे,
श्रृंगार माई कर रही सोल्हा रे

हाथो उनके कंगना सोहे
चूड़ी की बलहारी राम,
मुंदरी पहन रही रे
हाथ में मुंदरी पहन रही रे,
श्रृंगार माई कर रही सोल्हा रे

कमर उनके गरदन सोहे
झूलो की बलिहारी राम,
कुछ न पहन रही रे
कमर में कुछ न पहन रही रे,
शृंगार माई कर रही सोल्हा रे

पाओ में उनके पायल सोहे
विछियां की बलिहारी राम,
महावर लगा रही रे
पाओ में महावर लगा रही रे
श्रृंगार माई कर रही सोल्हा रे

अंग में उनके चोला सोहे
गगरा के बलिहारी राम,
चुनरी ओड रही रे
चुनरी ओड रही रे,
श्रृंगार माई कर रही सोल्हा रे

 

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