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अंगना पधारो महारानी लिरिक्स | Angana padharo maharani lyrics

अंगना पधारो महारानी लिरिक्स  | Angana padharo maharani lyrics अंगना पधारो महारानी मोरी शारदा भवानी शारदा भवानी मोरी शारदा भवानी करदो कृपा महारानी मोरी शारदा भवानी अंगना पधारो... ऊँची पहाड़िया पे मंदिर बनो है मंदिर में मैया को आसान लगो है सान पे बैठी महारानी मोरी शारदा भवानी अंगना पधारो... रोगी को काया दे निर्धन को माया बांझन पे किरपा ललन घर आया मैया बड़ी वरदानी मोरी शारदा भवानी अंगना पधारो... मैहर में ढूंढी डोंगरगढ़ में ढूंढी कलकत्ता कटरा जालंधर में ढूंढी विजरघवगध में दिखानी मोरी शारदा भवानी अंगना पधारो... मैहर को देखो या विजयराघवगढ़ को एकै दिखे मोरी मैया के मढ़ को महिमा तुम्हारी नहीं जानी मोरी शारदा भवानी अंगना पधारो... मैया को भार सम्भाले रे पंडा हाथो में जिनके भवानी को झंडा झंडा पे बैठी महारानी मोरी शारदा भवानी अंगना पधारो... महिमा तुम्हारी भगत जो भी गाए मोनी भी मैया में दर्शन को आए करदो मधुर मोरी वाणी हो मोरी शारदा भवानी अंगना पधारो महारानी मोरी शारदा भवानी अंगना पधारो महारानी  | Angana padharo maharani गीत यहाँ सुनें ...

तुलसी चालीसा | TulsiChalisa Lyrics

तुलसी चालीसा ॥ दोहा ॥ जय जय तुलसी भगवती,सत्यवती सुखदानी। नमो नमो हरि प्रेयसी,श्री वृन्दा गुन खानी॥   श्री हरि शीश बिरजिनी,देहु अमर वर अम्ब। जनहित हे वृन्दावनी,अब न करहु विलम्ब॥   ॥ चौपाई ॥ धन्य धन्य श्री तलसी माता। महिमा अगम सदा श्रुति गाता॥   हरि के प्राणहु से तुम प्यारी। हरीहीँ हेतु कीन्हो तप भारी॥   जब प्रसन्न है दर्शन दीन्ह्यो। तब कर जोरी विनय उस कीन्ह्यो॥   हे भगवन्त कन्त मम होहू। दीन जानी जनि छाडाहू छोहु॥   सुनी लक्ष्मी तुलसी की बानी। दीन्हो श्राप कध पर आनी॥   उस अयोग्य वर मांगन हारी। होहू विटप तुम जड़ तनु धारी॥   सुनी तुलसी हीँ श्रप्यो तेहिं ठामा। करहु वास तुहू नीचन धामा॥   दियो वचन हरि तब तत्काला। सुनहु सुमुखी जनि होहू बिहाला॥   समय पाई व्हौ रौ पाती तोरा। पुजिहौ आस वचन सत मोरा॥   तब गोकुल मह गोप सुदामा। तासु भई तुलसी तू बामा॥   कृष्ण रास लीला के माही। राधे शक्यो प्रेम लखी नाही॥   दियो श्राप तुलसिह तत्काला। नर लोकही तुम जन्महु बाला॥   यो गोप वह दानव राजा। शङ्ख चुड नामक शिर ताजा॥  ...

श्री कुबेर चालीसा | Kuber Chalisa lyrics

 श्री कुबेर चालीसा  ॥ दोहा ॥ जैसे अटल हिमालय और जैसे अडिग सुमेर । ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै, अविचल खड़े कुबेर ॥ विघ्न हरण मंगल करण, सुनो शरणागत की टेर । भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढ़ेर ॥ ॥ चौपाई ॥ जै जै जै श्री कुबेर भण्डारी । धन माया के तुम अधिकारी ॥ तप तेज पुंज निर्भय भय हारी । पवन वेग सम सम तनु बलधारी ॥ स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी । सेवक इंद्र देव के आज्ञाकारी ॥ यक्ष यक्षणी की है सेना भारी । सेनापति बने युद्ध में धनुधारी ॥ महा योद्धा बन शस्त्र धारैं । युद्ध करैं शत्रु को मारैं ॥ सदा विजयी कभी ना हारैं । भगत जनों के संकट टारैं ॥ प्रपितामह हैं स्वयं विधाता । पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता ॥ विश्रवा पिता इडविडा जी माता । विभीषण भगत आपके भ्राता ॥ शिव चरणों में जब ध्यान लगाया । घोर तपस्या करी तन को सुखाया ॥ शिव वरदान मिले देवत्य पाया । अमृत पान करी अमर हुई काया ॥ धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में । देवी देवता सब फिरैं साथ में ॥ पीताम्बर वस्त्र पहने गात में । बल शक्ति पूरी यक्ष जात में ॥ स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं । त्रिशूल गदा हाथ में साजैं ॥ शंख मृदंग नगारे बाजैं । ...

नवग्रह चालीसा | Navgrah Chalisa lyrics

 नवग्रह चालीसा      ॥ चौपाई ॥ श्री गणपति गुरुपद कमल, प्रेम सहित सिरनाय। नवग्रह चालीसा कहत, शारद होत सहाय।। जय जय रवि शशि सोम बुध जय गुरु भृगु शनि राज। जयति राहु अरु केतु ग्रह करहुं अनुग्रह आज।।   ।। श्री सूर्य स्तुति ।। प्रथमहि रवि कहं नावौं माथा, करहुं कृपा जनि जानि अनाथा। हे आदित्य दिवाकर भानू, मैं मति मन्द महा अज्ञानू। अब निज जन कहं हरहु कलेषा, दिनकर द्वादश रूप दिनेशा। नमो भास्कर सूर्य प्रभाकर, अर्क मित्र अघ मोघ क्षमाकर।   ।। श्री चन्द्र स्तुति ।। शशि मयंक रजनीपति स्वामी, चन्द्र कलानिधि नमो नमामि। राकापति हिमांशु राकेशा, प्रणवत जन तन हरहुं कलेशा। सोम इन्दु विधु शान्ति सुधाकर, शीत रश्मि औषधि निशाकर। तुम्हीं शोभित सुन्दर भाल महेशा, शरण शरण जन हरहुं कलेशा।   ।। श्री मंगल स्तुति ।। जय जय जय मंगल सुखदाता, लोहित भौमादिक विख्याता। अंगारक कुज रुज ऋणहारी, करहुं दया यही विनय हमारी। हे महिसुत छितिसुत सुखराशी, लोहितांग जय जन अघनाशी। अगम अमंगल अब हर लीजै, सकल मनोरथ पूरण कीजै।   ।। श्री बुध स्तुति ।। जय शशि नन्दन बुध महाराजा, कर...

गायत्री चालीसा | Gayatri Chalisa lyrics

 गायत्री चालीसा ह्रीं श्रीं क्लीं मेधा प्रभा जीवन ज्योति प्रचंड ॥ शांति कांति जागृत प्रगति रचना शक्ति अखंड ॥ जगत जननी मंगल करनि गायत्री सुखधाम ॥ प्रणवों सावित्री स्वधा स्वाहा पूरन काम ॥   भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी । गायत्री नित कलिमल दहनी ॥ अक्षर चौबीस परम पुनीता । इनमें बसें शास्त्र श्रुति गीता ॥ शाश्वत सतोगुणी सत रूपा । सत्य सनातन सुधा अनूपा ॥ हंसारूढ श्वेतांबर धारी । स्वर्ण कांति शुचि गगन-बिहारी ॥ पुस्तक पुष्प कमंडलु माला । शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला ॥ ध्यान धरत पुलकित हित होई । सुख उपजत दुख दुर्मति खोई ॥ कामधेनु तुम सुर तरु छाया । निराकार की अद्भुत माया ॥ तुम्हरी शरण गहै जो कोई । तरै सकल संकट सों सोई ॥ सरस्वती लक्ष्मी तुम काली । दिपै तुम्हारी ज्योति निराली ॥ तुम्हरी महिमा पार न पावैं । जो शारद शत मुख गुन गावैं ॥ चार वेद की मात पुनीता । तुम ब्रह्माणी गौरी सीता ॥ महामंत्र जितने जग माहीं । कोउ गायत्री सम नाहीं ॥ सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासै । आलस पाप अविद्या नासै ॥ सृष्टि बीज जग जननि भवानी । कालरात्रि वरदा कल्याणी ॥ ब्रह्मा विष्णु रुद्र सुर जेते । तुम सों पावे...

सरस्वती चालीसा | Saraswati Chalisa lyrics

 सरस्वती चालीसा  ॥दोहा॥ जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि।  बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥ पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु। दुष्जनों के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु॥   ॥ चौपाई ॥ जय श्री सकल बुद्धि बलरासी। जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी॥ जय जय जय वीणाकर धारी। करती सदा सुहंस सवारी॥ रूप चतुर्भुज धारी माता। सकल विश्व अन्दर विख्याता॥ जग में पाप बुद्धि जब होती। तब ही धर्म की फीकी ज्योति॥ तब ही मातु का निज अवतारी। पाप हीन करती महतारी॥ वाल्मीकिजी थे हत्यारा। तव प्रसाद जानै संसारा॥ रामचरित जो रचे बनाई। आदि कवि की पदवी पाई॥ कालिदास जो भये विख्याता। तेरी कृपा दृष्टि से माता॥ तुलसी सूर आदि विद्वाना।भये और जो ज्ञानी नाना॥ तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा। केव कृपा आपकी अम्बा॥ करहु कृपा सोइ मातु भवानी। दुखित दीन निज दासहि जानी॥ पुत्र करहिं अपराध बहूता। तेहि न धरई चित माता॥ राखु लाज जननि अब मेरी। विनय करउं भांति बहु तेरी॥ मैं अनाथ तेरी अवलंबा। कृपा करउ जय जय जगदंबा॥ मधुकैटभ जो अति बलवाना।  बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना॥ समर हजार पाँच में घोरा। फिर भी मुख उन...

झूलेलाल चालीसा | Jhulelal Chalisa Lyrics

 झूलेलाल चालीसा || दोहा ||  जय जय जल देवता, जय ज्योति स्वरूप | अमर उडेरो लाल जय, झुलेलाल अनूप ||  ।। चौपाई ।।  रतनलाल रतनाणी नंदन | जयति देवकी सुत जग वंदन || दरियाशाह वरुण अवतारी | जय जय लाल साईं सुखकारी || जय जय होय धर्म की भीरा | जिन्दा पीर हरे जन पीरा || संवत दस सौ सात मंझरा | चैत्र शुक्ल द्वितिया भगऊ वारा || ग्राम नसरपुर सिंध प्रदेशा | प्रभु अवतरे हरे जन कलेशा || सिन्धु वीर ठट्ठा राजधानी | मिरखशाह नऊप अति अभिमानी || कपटी कुटिल क्रूर कूविचारी | यवन मलिन मन अत्याचारी || धर्मान्तरण करे सब केरा | दुखी हुए जन कष्ट घनेरा || पिटवाया हाकिम ढिंढोरा | हो इस्लाम धर्म चाहुँओरा || सिन्धी प्रजा बहुत घबराई | इष्ट देव को टेर लगाई || वरुण देव पूजे बहुंभाती | बिन जल अन्न गए दिन राती || सिन्धी तीर सब दिन चालीसा | घर घर ध्यान लगाये ईशा || गरज उठा नद सिन्धु सहसा | चारो और उठा नव हरषा || वरुणदेव ने सुनी पुकारा | प्रकटे वरुण मीन असवारा || दिव्य पुरुष जल ब्रह्मा स्वरुपा | कर पुष्तक नवरूप अनूपा || हर्षित हुए सकल नर नारी | वरुणदेव की महिमा न्यारी || जय जय कार उठी चाहु...

सीता चालीसा | Sita Chalisa lyrics

 सीता चालीसा   ॥ दोहा ॥ बन्दौ चरण सरोज निज जनक लली सुख धाम, राम प्रिय किरपा करें सुमिरौं आठों धाम ॥ कीरति गाथा जो पढ़ें सुधरैं सगरे काम, मन मन्दिर बासा करें दुःख भंजन सिया राम ॥ ॥ चौपाई ॥ राम प्रिया रघुपति रघुराई बैदेही की कीरत गाई ॥ चरण कमल बन्दों सिर नाई, सिय सुरसरि सब पाप नसाई ॥ जनक दुलारी राघव प्यारी, भरत लखन शत्रुहन वारी ॥ दिव्या धरा सों उपजी सीता, मिथिलेश्वर भयो नेह अतीता ॥ सिया रूप भायो मनवा अति, रच्यो स्वयंवर जनक महीपति ॥ भारी शिव धनु खींचै जोई, सिय जयमाल साजिहैं सोई ॥ भूपति नरपति रावण संगा, नाहिं करि सके शिव धनु भंगा ॥ जनक निराश भए लखि कारन , जनम्यो नाहिं अवनिमोहि तारन ॥ यह सुन विश्वामित्र मुस्काए, राम लखन मुनि सीस नवाए ॥ आज्ञा पाई उठे रघुराई, इष्ट देव गुरु हियहिं मनाई ॥ जनक सुता गौरी सिर नावा, राम रूप उनके हिय भावा ॥ मारत पलक राम कर धनु लै, खंड खंड करि पटकिन भू पै ॥ जय जयकार हुई अति भारी, आनन्दित भए सबैं नर नारी ॥ सिय चली जयमाल सम्हाले, मुदित होय ग्रीवा में डाले ॥ मंगल बाज बजे चहुँ ओरा, परे राम संग सिया के फेरा ॥ लौटी बारात अवधपुर आई, तीनों मातु करै...