अंगना पधारो महारानी लिरिक्स  | Angana padharo maharani lyrics अंगना पधारो महारानी मोरी शारदा भवानी  शारदा भवानी मोरी शारदा भवानी  करदो कृपा महारानी मोरी शारदा भवानी  अंगना पधारो...   ऊँची पहाड़िया पे मंदिर बनो है  मंदिर में मैया को आसान लगो है  सान पे बैठी महारानी मोरी शारदा भवानी  अंगना पधारो...   रोगी को काया दे निर्धन को माया  बांझन पे किरपा ललन घर आया  मैया बड़ी वरदानी मोरी शारदा भवानी  अंगना पधारो...   मैहर में ढूंढी डोंगरगढ़ में ढूंढी  कलकत्ता कटरा जालंधर में ढूंढी  विजरघवगध में दिखानी मोरी शारदा भवानी  अंगना पधारो...   मैहर को देखो या विजयराघवगढ़ को  एकै दिखे मोरी मैया के मढ़ को  महिमा तुम्हारी नहीं जानी मोरी शारदा भवानी  अंगना पधारो...   मैया को भार सम्भाले रे पंडा  हाथो में जिनके भवानी को झंडा  झंडा पे बैठी महारानी मोरी शारदा भवानी  अंगना पधारो...   महिमा तुम्हारी भगत जो भी गाए  मोनी भी मैया में दर्शन को आए  करदो मधुर मोरी वाणी हो मोरी शारदा भवानी  अंगना पधारो महारानी मोरी शारदा भवानी  अंगना पधारो महारानी  | Angana padharo maharani गीत यहाँ सुनें                      ...
 मध्यप्रदेश के सतना जिले में मैहर की माता शारदा का प्रसिद्ध मंदिर है।  मान्यता है कि शाम की आरती होने के बाद जब मंदिर के कपाट बंद करके सभी  पुजारी नीचे आ जाते हैं तब यहां मंदिर के  अंदर से घंटी और पूजा करने की आवाज आती है। कहते हैं कि मां के भक्त आल्हा  अभी भी पूजा करने आते हैं। अक्सर सुबह की आरती वे ही करते हैं।   पिरामिडाकार त्रिकूट पर्वत में विराजीं मां शारदा का यह मंदिर 522 ईसा  पूर्व का है। कहते हैं कि 522 ईसा पूर्व चतुर्दशी के दिन नृपल देव ने यहां  सामवेदी की स्थापना की थी, तभी से त्रिकूट पर्वत में पूजा-अर्चना का दौर  शुरू हुआ। इस मंदिर की पवित्रता का अंदाजा महज इस बात से लगाया जा सकता है  कि अभी भी आल्हा मां शारदा की पूजा करने सुबह पहुंचते हैं।        मां शारदा  की प्रतिमा के ठीक नीचे के न पढ़े जा सके शिलालेख भी कई पहेलियों को समेटे  हुए हैं। सन् 1922 में जैन दर्शनार्थियों की प्रेरणा से तत्कालीन महाराजा  ब्रजनाथ सिंह जूदेव ने शारदा मंदिर परिसर में जीव बलि को प्रतिबंधित कर  दिया था।  विन्ध्य पर्वत श्रेणियों के मध्य त्रिकूट पर्वत पर स्थित इस  मंदिर के बारे मान्यता है कि मां शारदा ...