मेरे हनुमान.....
"श्री हनुमान जी महाराज के सभी भक्तों को जय श्री राम"
रामभक्त, महावीर, बजरंगबली हनुमान जी तो सबके हैं, सबके संकट हराने वाले है, फिर "मेरे हनुमान" क्यों?
क्योंकि निजत्व का जो भाव "मेरे" में है वो "सबके", "अपने" और "हमारे" में कहाँ?
इसीलिए श्री हनुमान जी महाराज के अनन्य भक्त उन्हें "मेरे हनुमान" कहकर स्मरण करते हैं।
इसीलिए श्री हनुमान जी महाराज के अनन्य भक्त उन्हें "मेरे हनुमान" कहकर स्मरण करते हैं।
आइये, श्री रामचन्द्र जी के पावन श्री चरणो का ध्यान करते
हुए, उनके अनन्य भक्त और हम सबके आराध्य श्री हनुमान जी महाराज की स्तुति
करें:-
आत्मा त्वं हनुमन्तं , सहचरा: प्राणा: शरीरं गृहं
पूजाते विषयोपभोगरचना, निद्रा समाधि स्थिति:
पूजाते विषयोपभोगरचना, निद्रा समाधि स्थिति:
संचार: पदयो: प्रदक्षिणा विधि : स्तोत्राणि सर्वांगिरो
यद्यत्कर्म करोमि तत्तदखिलं , हनुमान तवाराधनम
यद्यत्कर्म करोमि तत्तदखिलं , हनुमान तवाराधनम
हे हनुमानजी, हमारी आत्मा आप हैं,
हमारे प्राण आपके सहचर और हमारा शरीर आपका मंदिर है.
सम्पूर्ण विषय भोग की रचना आपकी पूजा है और हमारी निद्रा आपकी समाधि है.
हमारा चलना-फिरना आपकी परिक्रमा है एवं सम्पूर्ण शब्द आपके स्तोत्र हैं.
इस प्रकार जो भी कर्म हम करते हैं, वे सब आपकी आराधना स्वरुप हैं.
ॐ हनुमते नम:
हे हनुमान, हमारी आत्मा और बुद्धि आप ही हैं.
जय श्री राम
जय श्री राम
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