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अंगना पधारो महारानी लिरिक्स | Angana padharo maharani lyrics

अंगना पधारो महारानी लिरिक्स  | Angana padharo maharani lyrics अंगना पधारो महारानी मोरी शारदा भवानी शारदा भवानी मोरी शारदा भवानी करदो कृपा महारानी मोरी शारदा भवानी अंगना पधारो... ऊँची पहाड़िया पे मंदिर बनो है मंदिर में मैया को आसान लगो है सान पे बैठी महारानी मोरी शारदा भवानी अंगना पधारो... रोगी को काया दे निर्धन को माया बांझन पे किरपा ललन घर आया मैया बड़ी वरदानी मोरी शारदा भवानी अंगना पधारो... मैहर में ढूंढी डोंगरगढ़ में ढूंढी कलकत्ता कटरा जालंधर में ढूंढी विजरघवगध में दिखानी मोरी शारदा भवानी अंगना पधारो... मैहर को देखो या विजयराघवगढ़ को एकै दिखे मोरी मैया के मढ़ को महिमा तुम्हारी नहीं जानी मोरी शारदा भवानी अंगना पधारो... मैया को भार सम्भाले रे पंडा हाथो में जिनके भवानी को झंडा झंडा पे बैठी महारानी मोरी शारदा भवानी अंगना पधारो... महिमा तुम्हारी भगत जो भी गाए मोनी भी मैया में दर्शन को आए करदो मधुर मोरी वाणी हो मोरी शारदा भवानी अंगना पधारो महारानी मोरी शारदा भवानी अंगना पधारो महारानी  | Angana padharo maharani गीत यहाँ सुनें ...

Panda Karaye Raho Pooja Lyrics | Shahnaz Akhtar Bhajan Lyrics

Panda Karaye Raho Pooja Lyrics | Shahnaz Akhtar Bhajan Lyrics पंडा कराये रहो पूजा मैया जी की झूम झूम के नवराते की शुभ घडी आई, भक्तो ने माता की मूरत बैठाई, झूम झूम के झूम झूम के, पंडा कराय रहो पूजा, मैया जी की झूम झूम के।। टिका लगाए माँ को चुनरी ओढ़ाए, चूड़ी चढ़ाये फूल माला चढ़ाये, झूम झूम के झूम झूम के, पंडा कराय रहो पूजा, मैया जी की झूम झूम के।। नौ नौ खप्पर बो दये ज्वारे, अलियन गलियन गूंजे जयकारे, झूम झूम के झूम झूम के, पंडा कराय रहो पूजा, मैया जी की झूम झूम के।। आई माँ पहुनि भक्तो के द्वारे, संकट काटे माँ भरे भंडारे, झूम झूम के झूम झूम के, पंडा कराय रहो पूजा, मैया जी की झूम झूम के।।  

Chhum Chhum Chanana Baje Maiya Pao Paijaniya Lyrics | Shahnaz Akhtar Bhajan Lyrics

Chhum Chhum Chanana Baje Maiya Pao Paijaniya Lyrics | Shahnaz Akhtar Bhajan Lyrics छुम छुम छनन बाजे मैया पाओ पैजनिया, पाव पैजनिया मैया पाव पैजनिया मैया, कौन गढ़ावे मैया पाव पैजनिया ॥ कौन ओढादे ओढनिया मैया पाओ पैजनिया ॥ झूम झूम छनन बाजे ………. सुनरा गढ़ावे मैया पाव पैजनिया, दरजी ओढादे ओढनिया मैया पाव पैजनिया, झूम झूम छनन बाजे ………. कह चढादो मैया पाव पैजनिया, कह ओढादे ओढनिया मैया पाव पैजनिया, झूम झूम छनन बाजे ……….. दुर्गे चढादो मैया पाव पैजनिया, लंगूर चढादो ओढनिया मैया पाव पैजनिया, झूम झूम छनन बाजे ………..

Vishwakarma Aarti

 Vishwakarma Aarti जय श्री विश्वकर्मा ,प्रभु जय श्री विश्वकर्मा। सकल सृष्टि के कर्ता ,रक्षक स्तुति धर्मा ॥जय..॥   आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया। जीव मात्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥जय..॥   ऋषि अंगिरा तप से ,शांति नही पाई। ध्यान किया जब प्रभु का ,सकल सिद्धि पाई ॥जय..॥   रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना। संकट मोचन बनकर, दूर दु:ख कीना ॥जय..॥   जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी। सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी ॥जय..॥   एकानन चतुरानन, पंचानन राजे। द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे ॥जय..॥   ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे। मन द्विविधा मिट जावे, अटल शांति पावे ॥जय..॥   श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे। भजत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे ॥जय..॥

Dhanvantari aarti

 Dhanvantari aarti   जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा। जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय..।। तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए। देवासुर के संकट आकर दूर किए।।जय..।।   जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय..।।   जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया। सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।जय..।। भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी। आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।जय..।। तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे। असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।जय..।। हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा। वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।जय..।। धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे। रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।जय..।।

Aarti Tulsi ji ki | Tulsi aarti

 Aarti Tulsi ji ki | Tulsi aarti   जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता । सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।। मैय्या जय तुलसी माता।।   सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर। रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता। मैय्या जय तुलसी माता।।   बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या। विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता। मैय्या जय तुलसी माता।।   हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित। पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता। मैय्या जय तुलसी माता।।   लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में। मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता। मैय्या जय तुलसी माता।।   हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी। प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता। हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता। मैय्या जय तुलसी माता।।   जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता। सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥   मैय्या जय तुलसी माता।।

Ram ji ki aarti

 Ram ji ki aarti  आरती कीजै श्री रामचन्द्र जी की। दुष्टदलन सीतापति जी की॥   पहली आरती पुष्पन की माला। काली नाग नाथ लाये गोपाला॥   दूसरी आरती देवकी नन्दन। भक्त उबारन कंस निकन्दन॥   तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे। रत्‍‌न सिंहासन सीता राम जी सोहे॥   चौथी आरती चहुं युग पूजा। देव निरंजन स्वामी और न दूजा॥   पांचवीं आरती राम को भावे। राम जी का यश नाम देव जी गावें॥

Vishnu ji ki aarti

 Vishnu ji ki aarti   ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी  जय जगदीश हरे। भक्तजनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥ॐ..॥   जो ध्यावै फल पावै, दु:ख बिनसे मन का। सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का ॥ॐ..॥   मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी। तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी ॥ॐ..॥   तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥ पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी ॥ॐ..॥   तुम करुणा के सागर, तुम पालन कर्ता। मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता ॥ॐ..॥   तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति ॥ॐ..॥ दीनबंधु दु:खहर्ता, तुम रक्षक मेरे। अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे ॥ॐ..॥   विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा ॥ॐ..॥   तन-मन-धन, सब कुछ तेरा। तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा ॥ॐ..॥   श्री जगदीश जी की आरती, जो कोई नर गावे। कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे ॥ॐ..॥